कच्ची घानी सरसों तेल

कच्ची घानी सरसों तेल

कच्ची घानी सरसों का तेल एक फैटी वनस्पति तेल सरसों के बीज से निकाला जाता है। यह काले रंग में पीला और थोड़ा तीखा है।




कच्ची घानी सरसों तेल से होते हैं यह फायदे:



  • १. शरीर पर कच्ची घानी सरसों के तेल की मालिश से सारे शरीर में खून का दौरा तेज होकर शरीर में स्फूर्ति आती है। इससे शरीर पुष्ट होता है, बुढ़ापे के लक्षण मिटते हैं, थकान दूर होती है, माँसपेशियाँ मजबूत बनती हैं तथा त्वचा स्वच्छ एवं झुर्रियों रहित, कोमल कांतिपूर्ण बनती है।

  • २. नवजात शिशु तथा प्रसूता, दोनों का शरीर सरसों के तेल की मालिश से पुष्ट तथा बलवान बनता है। यह शरीर के रोम छिद्रों द्वारा सारे शरीर में पहुँच कर शरीर का पोषण करता है तथा शक्ति प्रदान करता है। सर्दियों में कच्ची घानी सरसों के तेल की मालिश करके नहाने से शरीर पर ठण्ड का असर नहीं होता।

  • ३. शरीर का रोग ग्रस्त अंग जिसमें दर्द, सूजन या गठिया हो, कच्ची घानी सरसों के तेल की मालिश से आराम मिलता है। कच्ची घानी सरसों के तेल में हींग, अजवायन, लहसुन, डालकर गर्म करके, ठण्डा होने पर छान कर शीशी में रखें। सर्दी के कारण हाथ, पैर, कमर में दर्द होने लगे तो इस तेल की मालिश से आराम मिलेगा। बच्चों को सर्दी लग जाने पर इस तेल की मालिश से उनकी सर्दी दूर होगी। सिर के बालों में नियमित रूप से कच्ची घानी सरसों का तेल लगाने से वे असमय सफेद नहीं होंगे, सिर में दर्द नहीं होगा, आँखों की ज्योति बढ़ती है तथा नींद ठीक आती है।

  • ४. कानों में कच्ची घानी सरसों का तेल डालने से कान दर्द, बहरापन आदि कान के रोग मिटते हैं। इससे कान का मैल फूलकर बाहर निकल आता है। कान में दर्द हो या कीड़ा घुस गया हो तो कच्ची घानी सरसों के तेल में ३-४ कलियाँ लहसुन की डाल कर गर्म करके गुनगुना रहने पर १-२ बूँद कान में डालें। कीड़ा मरकर तेल के साथ बाहर आ जाएगा।

  • ५. कच्ची घानी सरसों के तेल में बारीक पिसा सेंधा नमक मिलाकर कुछ समय तक लगातार मंजन करने से दाँत दर्द, पायरिया आदि रोगों में लाभ होता है। जुकाम होने पर गर्म कच्ची घानी सरसों के तेल की छाती, पीठ पर मालिश करने तथा नाक के चारों ओर लगाने से लाभ होता है।

  • ६. पैर के तलवों में कच्ची घानी सरसों के तेल की मालिश से थकावट दूर होती है, पैरों की शक्ति बढ़ती है तथा इससे आँखों की ज्योति भी बढ़ती है। कच्ची घानी सरसों के दाने शहद के साथ पीसकर चाटने से खाँसी में आराम मिलता है।

  • ७. कच्ची घानी सरसों के तेल में कपूर डालकर मालिश करने से गठिया के दर्द में आराम मिलेगा। बच्चे के पेट की तिल्ली बढ़ जाने पर कच्ची घानी सरसों के तेल को गुनगुना गर्म करके कुछ दिन उसके पेट की मालिश करें। प्रसूतिगृह की विषाक्त गंध को दूर करने के लिए कच्ची घानी सरसों के दानों की घी के साथ धूप देनी चाहिए।

  • ८. किसी ने जहरीला पदार्थ खा लिया हो तो गर्म पानी में कच्ची घानी सरसों के दाने पीसकर पिलाने से तत्काल वमन हो जाएगा तथा पेट से जहरीला पदार्थ बाहर निकल आता है। कच्ची घानी सरसों के तेल में आक के पत्तों का रस तथा हल्दी मिलाकर गर्म करें, ठण्डा होने पर छान कर शीशी में रख लें। खाज-खुलली, दाद आदि चर्म रोगों के लिए यह तेल बहुत फायदेमंद है।

  • ९. आवश्यकता हो तब उसमें पानी या दूध मिलाकर चेहरे पर लगाएँ। सूखने पर हल्के हाथ से रगड़ कर साफ कर लें। चेहरा चमक उठेगा।

  • १०. बेसन, हल्दी, जरा सा पीसा कपूर तथा कच्ची घानी सरसों का तेल डालकर, दही या पानी के साथ घोल बना लें। इस उबटन से रंग साफ होगा तथा त्वचा में चमक आती है।

  • १२. कच्ची घानी सरसों, बच, लोद, सेंधा नमक मिलाकर पानी में पीसकर मुँह पर लेप करें तथा सूखने पर गुनगुने पानी से धोकर तौलिए से रगड़कर चेहरा साफ कर लें। इससे मुँहासे मिटेंगे तथा चेहरा चमक उठेगा।

  • १३. कच्ची घानी सरसों तेल आर्युवेद के मुताबित भारतीयों के लिये ज्यदा फायदे मंद है। और सर्दियोमे पूरा भारत वर्ष इसे इस्तमाल कर सकता है।